ज़िन्दगी मैं कभी कभी कुछ ऐसा होता है
जिसकी उम्मीद नहीं होती!
हम उम्मीद भरा हाथ बढ़ाते है
और लोग उसे स्वार्थ समझ लेते हैं!
हमने तुम्हे, दोस्त समझा था
तुमने दुश्मन, समझ लिया
अफ़सोस है, उस रिश्ते पर
जो परवान, न चढ़ सका
गलती हमारी है, ना समझ पाये
उन निगाहो को, उन इशारो को
दिल की साफगोई, का अब क्या करे
जब इलज़ाम ही, उल्फत का लगा हो
अब तो खवाबो में, इंतज़ार करेंगे
उन पर तो बस, तुम्हारा भी नहीं है
जिसकी उम्मीद नहीं होती!
हम उम्मीद भरा हाथ बढ़ाते है
और लोग उसे स्वार्थ समझ लेते हैं!
हमने तुम्हे, दोस्त समझा था
तुमने दुश्मन, समझ लिया
अफ़सोस है, उस रिश्ते पर
जो परवान, न चढ़ सका
गलती हमारी है, ना समझ पाये
उन निगाहो को, उन इशारो को
दिल की साफगोई, का अब क्या करे
जब इलज़ाम ही, उल्फत का लगा हो
अब तो खवाबो में, इंतज़ार करेंगे
उन पर तो बस, तुम्हारा भी नहीं है